छत्रपति शिवाजी- जीवन चरित्र एवं उपलब्धियां
मराठा शक्ति के उथान मे महाराष्ट्र की भौगोलिक स्थिति औरंगजेब की हिंदू विरोधी नीति तथा तत्कालीन महाराष्ट्र का धार्मिक आंदोलन भी जिम्मेदार था। मराठा जाति अधिक परिश्रम, दरण् एवं लदक्वि, शरीरसे बलिष्ठ एवं छापा मार युद्ध एवं प्रणाली मे निपुरण थे। आँचलित मराठा शक्ति स्वतंत्र संग्राम के आदर्श तथा हिंदू रक्षक के रूप मे संगठित हुए। 16वीं तथा 17वीं शातब्दि मे महारातृ मे हुए धार्मिक आंदोलन ने मराठो एवं हिंदुओ को एकता के सूत्र मे पिरोन का महत्वपूर्ण कार्य किया गया इनमे संत रामदास शिवाजी के गुरु थे। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, वबान पंडित तथा एकनाथ प्रमुख। शिवाजी के गुरु रामदेव थे उन्होंने शिवाजी को हिंदीवि स्वराज निर्माण करने की प्रेरणा दी। औरंगजेब की हिंदू विरोधी छवि ने हिंदू से एकता की संभमना को प्रबल किया परिणाम स्वरूप शिवाजी ने हिंदुत्त्व धर्म दुवारा कीउपाधि धारण की मराठो के उत्थानो मे सहयोगी सब कारणों मे महत्वपूर्ण जिसनेअणुओ की तरह फैले ही मराठो मे वर्ष से हुई शक्ति को जगाया। शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई एवं पिता का नाम शाहजी था। दादा कोणदेव शिवाजी के गुरु एवं संरक्षक थे। शिवाजीके धर्मिक गुरु रामदास थे रामदास की प्रेरणा से शिवाजी मे राष्ट्रप्रेम माँ ब्राह्मण तथाधर्म की रक्षा की भावना जागी।
शिवाजी ने दुर्ग बनाबाये
1646मे शिवाजी ने बीजा पुर मे दुर्ग बनाबाए बीजा पर पहाड़ी पर तोरण पर अधिकार कर लिया। तोरण से 5मिल पूर्व मे शिवाजी ने रायगढ़ नामक नया दुर्ग बनबाया जिसे कालांतर मे इतिहास ने इगल्स नेस्ट कहा है 1649ई ०se1655 के मध्य शिवाजी ने बीजापुर के विरुद्ध आक्रमण की गतिविधियों को रोक दिया था शिवाजी ने 1657मे कोकण के किले पर आक्रमण किया एवं कल्याण र तथा भिवणो को जीत कर उसे नौसिनिक अड्डे के रूप मे विकसित किया। 1659 मे बीज के श्रेष्ठ सरदार अफजल खां को शिवाजी को जीवित या मृत पकड़ कर उन पर तीक्ष्ण बार किया किंतु शिवाजी ने उसे बगनखे से चिर डाला।
राठा सम्राज्य के पद /कार्य
पेशवा प्रधानी मंत्री राज्यी कर समान्य भालई एवं हितो को देखना पसन्द। अमात्य वितमंत्री समस्त सार्वजनिक हिसाब किताब की जाच करना तथा उस पर हस्ताक्षर बनाना। सर ए नौबत सेनापति सेना मे सैनिक को भर्ती संगठन एवं अनुशासन, सेना का प्राधन। बकायणविस् यह सूचना गुप्टाचर तथा संधि विग्रह का अध्यक्ष होता था यह घरेलू मामलों की जाच पड़ताल करता था। सुमंत् विदेशीमन्त्री विदेश राजदूत का सवगत करना विदेशियों से संधि विगढ़ः की कर्यवाहियों से राजा से सलाह लेना।