शाहजहाँ से जुड़ी जनाकारी | In Hindi

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शाहजहाँ से जुड़ी  जनाकारी और  महत्वपूर्ण तथ्य

शाहब उद दीन मुहम्मद   खुर्रम जिसे बाद मे शाहजहॉ के नाम से जाना जाता था। वह 1628 मे सिहंसन पर बैठा। शाहजहॉ ने युग राजधानी को आगरा को दिल्ली  बदल दिया था। उन्होंने बुंदेलखड और दक्कन मे विद्रोह का सामान किया। शाहजहॉ का जन्म लाहौर मे 5जनवरी को 1592ई ० को मारवाड के मोटा राजा उदयसिंह मे पुत्र जगत गोसाई गर्भ से हुआ था। अक्टूबर 1627 ई ० जहाँगीर की मृत्यु के समय वह दक्षिण मे था। अत्यवम् उसके श्वसुर आसफ खाँ एवं राज्य के दीवान खावजा अबुल हसन ने एककूटनीतिक चल के  तहत खुसरो के लड़के दरबार शहंजाह का विवाहअसफ खाँ की पुत्री अजुआन्द् बानू से से हुआ था। जो बाद मे इतिहास मे मुमताज महल नाम से बिखयत् हुई

मनसव उपाधि सानो शौकत      

शाहजहॉ के मुमताज महल से  उपन् 14संतानो मे से केवल 4पुत्र एव 3पुत्री ही जीवत बचे थे जिनके नाम थे जहाँआरा, दरशिको, रोशन औरंगजेब मुराद और गौहन आरा शाहजहॉ ने शासन् काल को मुगल समारज्य का स्वर्ण युग कहा जाता है ताज महल उसने बनबाया था। मस्जिद  ए जहाँ नुमा जिसे  आमतौर पर जामा मस्जिद के रूप मे जाना जाता है जिसे मुगल साम्रट शाहजहॉ  दूवरा 1656मे  बनबाया गया था। शाहजहॉ ने शाहजहॉ नाम कीनींव 1637मे रखी थी जहाँ उसने ताज लाल किला और मोर सिहंसन बनवाया था। शाहजहॉ ने लेखको और इतिहासकारों जैसे की अब्दुल हमीद लाहौर, पदयदनाम के लेखक और एनयत खाँ जिन्होंने शहजहॉ नाम लिख का संक्षण किया। उसके पुत्र दारा सिकोह ने भागवत गीता और उपनिषद का फारसी भाषा मे अनुबाद कराया था। शाहजहॉ के शासन काल के अंतिम वर्षो मे उसके चार बेटो दारा सिकोह, शुजा औरंगजेब की बीचउतराधिकेआ की कड़वी जंग छिड़ गाई थी।

सिहंसन के लिए  साजिस                               

सर्वप्रथम शाहशुजा ने बंगाल मे तथा मुराद ने गुजरात मे अपना को स्वतन्त्र बादशाह  घोसित किया  किंतु औरंगजेब ने कूटनीतिक कारणों से अपने स्वतंत्र की  घोसणा की। उतराधिकारी के बाद  युद्ध मे भाग लेने के लिए सर्वप्रथम  शाहशुजा ने जनवरी 1658ई ०  राजधानी के और कुच किया। उतर्धिकारी के युद्ध के शुरुआत मे शाहजं एव शाही सेना के बिच युद्ध हुआ  बनारस से पांच किमी ०दूर  बहादुर के युद्ध से हुई। जिसमे शुजा हारकर पूर्ब की और भाग गया। उज्जेन से 14मील दूर धरमत नामक स्थान पर औरंगजेब और मुरमख्श की समिति सेनाओ का जसबंट सिंह और कासिम खाँ के नेतृत्व मेशहे  सेना से मुकाबला हुआ जिसमे शाही सेना की पराजय हुई।

शाहजहॉ के समय मे विद्रोह

धमंत् के युद्ध मे पराजित होकर जब जसवंत सिंह जोधा लौटे तो उसकी रानी ने युद्ध क्षेत्र से भागने के अपराध मे उन्ह किले नही घुसने दिया। शाही  सेना का औरंगजेब और मुराद की संमिलत सेना से नियय कर दिया यह उतराधिकारी के युद्ध मे शाही तोपखाने के साथ था। समुगड़ के युद्ध मे दाराकी पराजय का मुख्य कारण मुसलमानो सरदारों का विश्वास तथा औरंगजेब का योग्य  सेनापति था। औरंगजेब और मुरमख्श के बीच जो अहदनामा  शामझौता हुआ था उसमे दारा के बीच जो उसमे दारा को राइस अल मुलाहिद कहा गया था। दारा को मृत्यु दण्ड नयायदहीसो के एक कोर्ट दिया गया था।

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