1602 ई ०मे डच हालैंड संसद द्वरा पारित से एक संयुक्त डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुउ, इस कंपनी को डच संसद दूवरा 21ई ०वर्षो के लिए भारत और पूरब के देश के साथ व्यापार करने, आक्रमण और विजया करने के सम्बन्ध मे अधिकार पत्र प्राप्त हुआ डच ईस्ट इंडिया कंपनी vereenigde oost indische) copagnie VOC की आरम्भिक पूंजी जिससेउन्हे व्यापार पर करना 6,500,000 गिल्डर थी। भारत मे शीघ्र ही वरिंगदे ओस्ट एडिट कंपनी ने मसाला बड़ी विशेषता यह थी की पुलकिट स्थित गेलदृय के दुर्ग के अलाबा सभी डी डच बस्तियाँ मे कोई भी किलेबंद नही कर सकता डच ईस्ट इंडिया कंपनी की भारत से अधिक रुचि इंडोनेशिया के मसाला व्यापार मे थे डचो ने 1613मे जकारत को जातकर बैटवीय नामक नये नगरक् की स्थापना की, 1614मे डचो ने मालका और 1658म सिलों पर काव्जा कर लिया।
डचो ने 1605ई ०मे मसूलीपट्टम
डचो दूवरा भारत मे स्थापित कुछ अन्य कारखाने से प्रकार है। – पुलकित 1610सूरत 1616ई विमलीपटतम 1641 करिकाल 1645 चिन्सुर 1653कोचिन 1663कासिम बाजार, पटना बाला सार, नेगापम1658ई ० डचो दूवरा भारत से नील, शोर और सूत्सेसत्र का निमर्ण किया था। डच लोग मसूलीपाटट्नम से नील का निर्यात करते थे मुखता डच लोग भारत से पोति वस्त्र का व्यापार करते थे। सूरत स्थित डच व्यापार निदेशालय डच ईस्ट इंडिया कंपनी का सवर्दिक लाभ कमाने बाले प्रतिष्ठा था। बंगाल से डच मुख्यत सूती वस्त्र रेशम, शोरा और अफीम का निर्यात करते थे। डचो दूवरा कोरोमंडल तटवृत्ति प्रदेशों से सूती वस्त्र का व्यापार किया जाता था मालाबार के तत्त्वर्ती प्रदेश से डच मसालो का व्यापार करते थे। डचो ने पुलकिट मे अपना स्वर्ण निमीत पैगोडा सिक्के का प्रचलन करवाया। डचो ने कोरोमंडल की भारत मे पूर्तगाली को समुद्री व्यापार से एक तरह से निकषित कर दिया, लेकिन अग्रजो के नोसैनिको शक्ति के समाने डच नही टिक सके। डचो और अंग्रेजो की बिच 1759ई ०मे लड़े हुई बेडरा के युद्ध मे भारत ने अंगरजो नौसैनिक सर्ब श्रेष्ठ के सिद्ध करने के लिए डचो को भारतीय व्यापार से अलग के दिया भारत मे डचो की असफलता के प्रमुख कारण थे इसके सरकार के शिदे नियंतन मे होना कंपनी के भृष्ट एवं आयोग्य पदाधिकारी और कर्मचारी। भारतीय वस्त्रों के यूरोप मे निर्यात का इतना गरहा प्रभाव पड़ा की एग्लैंड आगे चल कर वतो का महत्वपूर्ण केंद्र गया डचों ने भारत मे पुरकलियों कोबसमुद्रि व्यापार से एक तरह से निष्कासित कर दिया, लेकिनअग्रेजो नोसैनक की अर्वस्रेष्ट को सिद्ध करते हुए डचो को भारतीय व्यापारबसे अलग कर दिया गया।