दाराशिको का जन्म
दारसिको का जन्म 1615 ई ०को शाहजहॉ की प्रिय पत्नी मुमताज महल के गर्भ से हुआ था दारसिको का नाम सूफी कदिरी परम्परा से बहुत प्रभावित था। कदिरी सिलसिले के प्रसिद्ध संत मुलाशाह उसके आध्यतमिक गुरु थे। लिनपूल ने दारा को लघु अकबर दारा को शाहबूलद इकबाल की उपाधि से विभूषित शाहजहाँ बे दारासीकॉ रोशनारा ने औरंगजेब और गौहनारा ने मुरमख्श का पक्ष लिया था। बादशाह के जीवित रहती ही सिहंसन के लिए लड़ा गया वह भीष्ण युद्ध विद्रोह को छोड़कर मुगल इतिहास का पहला उधारांना था। दारा शिको ने स्वयं अपने देखरेख मे संस्कृत गर्न्थो भगबत गीताऔर योगवशिष्ट् का फारसी मे अनुबाद करवाया। दारा का सबसे महत्वपूर्ण कार्य वेदो का संकलं है उसने वेदो को ईश्वरी कृति माना है दारसीखो ने एक मौलिम पुस्तंक मज्म उल बहारीं दो समुद्र का संगम की रचना की जिसमे हिंदू और इस्लाम धर्म को एक ही ईश्वर की प्राप्ति को दो मार्ग बताया गया है। दारा शिको ने स्वयम तथा काशी केकुछ संस्कृत के पंडित सहायता से बावनउपनिषदों ला सीमा ए अकबर (the great sacret) नाम सेफारसी मे अनुबाद कराया गया था
दारसिको से युद्ध उसके भाई औरंगजेब से
औरंगजेब और मुराद बख्श की विच जो ड़ानाम समानहोता हुआ था उसमे दारा को राईस की उपाधि दी गए थी कहा जाता है आधार्मि सजादा कहा गया था। दारा के सव को दिल्ली की सड़को पर घुमाया गया था और अंत मे उसके शिर को लाकर हुमयी के मकबरा मे दफनाया गया था शाहजहॉ अपने शासनकाल के प्रंभिक्व र्षो मे इस्लाम का पक्ष लिया किंतु कालांतर मे दारा और जहाँन आरा के प्रभाव के कारण साहिषूणता बार गया था। शाहजहॉ ने सिजदा एवम पाइबोस् प्रथा को समाप्त कर दिया तथा उसके स्थान पर चाहर तस्लीम की प्रथा शुरू करवायी तरह पगड़ी मे बादशाह की तस्वीर पहहने की मनहीकर
दारा सिको की युद्ध नीति
दारा सिको का भाई औरंगजेब उसका बहुत बड़ा दुसमं था दारा सिको को शाहजांह बहुत पसन्द करवा था उसने उस अकबर कहा दारा सिको रोशनारा ने औरंगजेब और गौण आरा ने मुराद बख्श का पक्ष लिया।